भाग एक: संघ और उसका राज्य क्षेत्र (Part I: The Union and its Territory) Constitution of India Part 1 in Hindi

 भाग एक: संघ और उसका राज्य क्षेत्र (Part I: The Union and its Territory)


अनुच्छेद 1 – भारत का नाम और राज्य क्षेत्र


1. भारत, अर्थात इंडिया, राज्यों का एक संघ होगा।



2. भारत का राज्य क्षेत्र निम्नलिखित से मिलकर बनेगा:

(a) उन राज्यों के क्षेत्र जो प्रथम अनुसूची में उल्लिखित हैं।

(b) उन संघ राज्य क्षेत्रों के क्षेत्र जो प्रथम अनुसूची में उल्लिखित हैं।

(c) भारत में सम्मिलित कोई भी अन्य क्षेत्र।




अनुच्छेद 2 – नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना


संसद को अधिकार है कि वह किसी विदेशी क्षेत्र को भारत में सम्मिलित कर सकती है या उसके लिए नए राज्य की स्थापना कर सकती है।



अनुच्छेद 3 – राज्यों का निर्माण या सीमाओं में परिवर्तन


संसद निम्नलिखित कार्य कर सकती है:


किसी नए राज्य का निर्माण करना।


किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन करना।


दो या अधिक राज्यों का विलय करना।


किसी राज्य को विभाजित करना।


किसी राज्य का नाम परिवर्तित करना।

शर्त: राष्ट्रपति की सिफारिश पर, संबंधित राज्य की विधान सभा से राय प्राप्त करने के बाद ही ऐसा किया जा सकता है।




अनुच्छेद 4 – प्रथम और चौथी अनुसूची में संशोधन


अनुच्छेद 2 और 3 के अंतर्गत बनाए गए किसी भी कानून के द्वारा प्रथम और चौथी अनुसूची में संशोधन किया जा सकता है और यह संशोधन संविधान (अनुच्छेद 368 के अंतर्गत) संशोधन नहीं माना जाएगा।




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महत्वपूर्ण बिंदु:


भारत "राज्यों का संघ" है, लेकिन यह "संघीय संविधान" नहीं है क्योंकि राज्य भारत से स्वतंत्र होकर नहीं बने, बल्कि भारत ने उन्हें संघ का हिस्सा माना।


अनुच्छेद 3 के तहत संसद को बहुत शक्तिशाली अधिकार प्राप्त हैं – राज्य का नाम बदलने से लेकर उसे समाप्त तक कर सकती है।

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